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7/25/2022

जानिए, सबसे बड़े शिवलिंग और रात भर में बने इस अनोखे मंदिर की कहानी

   
                           
   
जानिए,सबसे बड़े शिवलिंग और रात भर में बने इस अनोखे मंदिर की कहानी

इस मंदिर को एक ही रात में बनाया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सुबह होते ही इस मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया। उस समय छत के बनाए जाने का कार्य चल रहा था.... लेकिन सूर्योदय होने के साथ ही मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया, तब से यह मंदिर अधूरा ही है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किमी दूर स्थित भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल, अधूरा शिव मंदिर हैं। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। इतिहासकार कहते हैं कि भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई - 1055 ई ) द्वारा किया गया था।
 
रायसेन जिले की गौहर गंज तहसील के ओबेदुल्ला विकास खंड में स्थित इस शिव मंदिर को 11 वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज प्रथम ने बनवाया था।

कंक्रीट के जंगलों को पीछे छोड़ प्रकृति की हरी भरी गोद में, बेतवा नदी के किनारे बना उच्च कोटि की वास्तुकला का यह नमूना राजा भोज के वास्तुविदों के सहयोग से तैयार हुआ था।

इस मंदिर की विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं, जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18'फीट) व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) तथा केवल शिवलिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट) है।

अधूरा भोजपुर का ये शिव मंदिर, भोजेश्वर मंदिर का अधूरा निर्माण हैं... कहा जाता है कि इस मंदिर के अधूरे होने के पीछे एक बड़ा कारण है। किस्से कहानियों कहते हैं, इस मंदिर को किसी वजह से एक ही रात में बनाया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सुबह होते ही इस मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया। उस समय छत के बनाए जाने का कार्य चल रहा था, लेकिन सूर्योदय होने के साथ ही मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया, तब से ये मंदिर अधूरा ही है। हालांकि पुरातत्व विभाग ऐसी किसी भी घटना की पुष्टि नहीं करता है। 

इस्लाम, के आगमन के पहले हुए था निर्माण! इतिहासकारों एवं पुरातत्विदों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था... अतः इस मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत भी मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।
 
इस मंदिर की विशेषता इसके 40 फीट ऊंचाई वाले इसके चार स्तम्भ भी हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है....

इसके अतिरिक्त भूविन्यास, सतम्भ, शिखर, कलश और चट्टानों की सतह पर आशुलेख की तरह उत्कीर्ण नहीं किए हुए हैं।

भोजेश्वर मंदिर के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है।




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