माँ शक्ति - हरपालदे ओर बाबराभुत की माया
( भाग : 4 )
(सामने देखा कि हरपालदे श्मशान में खाने को बुलाता है, जलते चीते से आवाज आती है)
चीता : हरपालदे अगर मुझे खिलाना है तो मेरी एक शर्त है...
हरपालदे: आन, वान, वचन और समर्थन के लिए प्राणों की आहुति देने में संकोच नहीं करते हम, जीवन के अंत में भी आपकी शर्तों का पालन करेंगे.. अपना हाल बताओ....
चीता: तो सुन हरपालदे, मैं खाने के बाद भूखा नहीं खड़ा रहूँगा.. खिलाने की क्षमता हो तो ही खिलाओ
हरपाल्दे : मैं आपकी बात स्वीकार करता हूँ
हरपालदे खाने के चार टुकड़े करके पहला टुकड़ा चीता के पास ले जाता है, एक हाथ से चीता निकलता है, हरपालदे खाने का टुकड़ा हाथ में रखकर बचा हुआ खाना उठाता है, वहाँ से चिता से आवाज आती है....
चीता: हरपाल्दे मुझे खाना दे दो मैं अभी भूखा हूँ।
हरपालदे दूसरा टुकड़ा लेकर चीते के पास जाता है, एक हाथ से चीते बाहर आता है, हरपालदे हाथ में खाने का टुकड़ा छोड़ कर बचे हुए खाने का टुकड़ा उठाता है, चिता से आवाज आती है....
चीता: हरपाल्दे मुझे खाना दे मैं अभी भी भूखा हूँ
हरपालदे तीसरा टुकड़ा लेकर चीते के पास जाता है, एक हाथ से चीते निकलता है, हरपालदे हाथ में भोजन का टुकड़ा लेकर, बचे हुए भोजन का टुकड़ा उठाता है, चिता से आवाज आती है....
चीता : (हँसते हुए) हरपालदे खाना दे दे मैं अभी भूखा हूँ या बता दे मकवाना का वादा गलत है
हरपालदे चौथा टुकड़ा लेकर चीता के पास जाता है एक हाथ से चीता निकलता है हरपालदे आखिरी टुकड़ा हाथ में छोड़ जाता है
चीता : (lol) हरपालदे मुझे खाना दे फिर भी भूखा हूँ या कहें मकवाना की शान, वचन और समर्थन सब कहने के लिए हैं पालन नहीं।
हरपाल्दे: मैंने जितना खाना खाया सब तुम्हें दे दिया।
चीता: (हँसते हुए) पहले ही कहा था कि बुलावा देने से पहले सोच लेना भूखा नहीं खड़ा रहूँगा, कहाँ गया मकवाने का पानी, जो मर भी गया तो शर्तें मानूँगा... कह दो हरपालदे हम वादे देकर वापस जा रहे हैं..... यदि आप में वचन निभाने की क्षमता नहीं है तो आप वचन नहीं दे सकते... खाने के लिए बुलाकर भूखा ही करना था, तो बड़े वाले से नहीं बुलाना था... कोई भूखा है क्या, हरपालदे खाने बुला रहा हूँ, अगर ऐसा बरादा नहीं है तो.. लो अब मुझे भी बता दो.... मेरे पेट में काली रेखा है हरपालदे मुझे खाना दे
हरपाल्दे : मकवाना कभी वादे देता नहीं घूमता।
ऐसा कड़वा वचन सुनकर हरपालदे मकवाना तलवार निकालता है और जय माँ मरमरा बोलकर शीश कटाने जाता है... वहाँ सम्पूर्ण ब्रह्मांड की माँ "माँ शक्ति" जलती चिता से निकलकर हरपालदे का हाथ थाम लेती है.... बोलो "शक्ति माँ" की जय 🙏
हरपालदे मकवाना की आँखें माताजी का तेजोमय रूप देखकर चकित हो जाती हैं "माँ शक्ति" के चरणों में गिरकर माताजी की पूजा करने लगती हैं
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् .
मा शक्ति: हरपालदे मकवाना, तेरा भाव, वचन और समर्थन देखकर मैं तुझ पर प्रसन्न हूँ, मैं तेरी परीक्षा लेने आया था, जिसमें तू खरा उतरी है, हरपालदे से मांगो वरदान मांगो जो तू मांगोगे, शक्ति देने को तैयार है।
हरपाल्दे: "माँ" तूने दर्शन देकर मेरा जन्म सुधारा, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।
मातृ शक्ति: जब लक्ष्मीजी चंद्रमा करने आएं तो मुंह धोने न जाएं, वरदान मांगने, मांगने में कंजूसी न करें, आज यही “शक्ति” देने बैठी है।
हरपाल्दे: "माँ" जो मैंने मांगा था वो मुझे दोगी, वरदान सुनकर नहीं कहोगी...
मातृ शक्ति : शक्ति के शब्द संसार में पड़ें तो शक्ति की पूजा बेकार है, तीनो लोक में कोई शक्ति से अधर्म न भूलै, माँगे वरदान हरपालदे।
हरपाल्दे : अगर माँ शक्ति आप मुझसे सचमुच खुश हैं तो wavvvvvv (सामने के बारे में बात करके आश्चर्यचकित)
मातृ शक्ति: हरपालदे को भ्रमित न करें बिना किसी भी प्रकार के मन में भय के बोलें
हरपाल्दे : (बस जल्दी में) "माँ शक्ति" यदि आप सचमुच मुझ पर प्रसन्न हैं, तो कृपया मुझे कर दें..
ऐसा वचन सुनकर “माँ शक्ति” का भ्रम जगता है, माताजी के चेहरे का भाव देखकर डर जाता है हरपालदे......
आगे और पीछे......
जय माँ ज़ाला वाली "शक्ति माँ" 🙏
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