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2/03/2022

हनुमान चालीसा कैसे बनी?

   
                           
   

हनुमान चालीसा कैसे बनी ?


ये कहानी नहीं सच्ची कहानी है, जो शायद किसी को नहीं पता*


*सभी पवनपुत्र हनुमानजी की पूजा हनुमान चालीसा गाकर करते हैं। लेकिन शायद ही कोई जानता है कि यह कैसे बना था। *


* तुलसीदासजी के जीवनकाल में ई. एस. अकबर पर 1900 के अरसा में राजा का शासन था। *


* एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे। रात ढलने को आई थी तो आगरा में अपना ठिकाना बना लिया। लोगों को पता चला कि तुलसीदासजी मथुरा आये हैं, लोग उन्हें देखने आये हैं। *


*अकबर को इस बात का पता चला तो उसने बीरबल से पूछा कि ये तुलसीदासजी कौन हैं? बीरबल ने कहा कि* * तुलसीदासजी रामभक्त हैं और उन्होंने ही रामचरितमानस की रचना की है। मैं भी उसे देख कर ही यहाँ आया हूँ। तो अकबर ने भी तुलसीदासजी* *के दर्शन की इच्छा व्यक्त की। बादशाह अकबर ने सैनिकों का दल भेजा और* * तुलसीदासजी ने राजा को लालकिले में हाजिर होने का आदेश सुनाया। * *तुलसीदासजी ने कहा कि मैं प्रभु श्रीरामचन्द्रजी का भक्त हूँ और मुझे राजा या लालकिले से कोई लेना देना नहीं, मैं लालकिले पर नहीं जाऊंगा। *


* राजा को तुलसीदासजी का उत्तर मिला तो उन्हें बहुत गलत लगा। बादशाह अकबर लाल पीले हुए, तुलसीदासजी को हथकड़ी से पकड़ने का आदेश दिया। **तुलसीदासजी को लालकिले से हथकड़ी लगाकर पकड़ा गया, अकबर ने कहा तुम तो चमत्कारी लगते हो, कोई चमत्कार करो*.


*तुलसीदासजी ने कहा कि मैं केवल प्रभु रामचन्द्र का भक्त हूँ, कोई जादूगर नहीं जो जादू चलाकर चमत्कार या प्रतिभा दिखा सकूँ। अकबर ने क्रोधित होकर उसे हथकड़ी लगाकर काले कोट में डाल दिया। *


*दूसरे दिन आगरा में लाल किले पर लाखों बंदर टूट पड़े और पूरे लाल किले को फील्डिंग करके लाल किले को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। अकबर ने लाल किले की तबाही देख बीरबल से पूछा ये सब क्या हो रहा है...? *

*बीरबल ने कहा कि साहब चमत्कार देखना हो तो देखिए। *


*अकबर ने तुरंत तुलसीदासजी को काले कोट से मुक्त किया और हथकड़ी छोड़ी। *

*तुलसीदासजी* *कहा बीरबल को बिना अपराध के सजा मिली है। मैं उस कोटड़ी में रामचन्द्रजी और हनुमानजी को याद करते हुए रो रहा था। * *हनुमानजी की प्रेरणा से मेरे हाथ अपने आप लिखने लगे। हनुमानजी की प्रेरणा से 30 फसलें लिखी गई हैं। *

*यदि कोई व्यक्ति मुसीबत या दुख में है तो वह उसके सारे दुख या संकट दूर होंगे। इनको *हनुमान चालीसा* के नाम से जाना जायेगा


*अकबर कई लोग हैरान रह गए। तुलसीदासजी ने उनसे क्षमा मांगी। मथुरा को पूरे सम्मान और गौरव के साथ-साथ सेना के पहनावे के साथ विदाई। *


*हनुमानजी को *संकटमोचन* कहा जाता है*. *

*आज हनुमान चालीसा सभी लोग करते हैं। *


*बोलो*


*जय श्री राम जय हनुमान दादा*🚩🙏🏾🔱 ⚜️🙏🏻





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