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1/07/2023

माघ माह में तिल

   
                           
   
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          माघ माह में 'संकष्टी चतुर्थी, 'षटतिला एकादशी, 'लोहड़ी", 'मकरसंक्रान्ति' इन सभी त्यौहारों पर तिल का सर्वाधिक महत्व है। इसके पीछे हैं तिल के विशेष गुण जिनकी बजह से माघ माह में तिल को इतना महत्व दिया जाता है।

1.तिल का सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दियों में तिल व उसके तेल दोनों का ही सेवन करना चाहिए। काले तिल व सफेद तिल दोनों का ही उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है।

2.ठंड में तिल गुड़ दोनो समान मात्रा में लेकर मिला लें। उसके लड्डू बना लें। प्रतिदिन 2 बार 1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है।

3. कठिन शारीरिक श्रम करने पर सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है। इससे चुस्ती व स्फूर्ती बनी रहती है।

4.तिल व तिल के तेल के सेवन से व सिर में इसकी मालिश करने से न केवल बाल घने और चमकदार होते हैं बल्कि बालों का गिरना भी कम हो जाता है।

5.प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।

6.ठंड में तिल और गुड़ सर्द हवा से बचाता है। जिससे सर्दी, खाँसी जैसे रोग भी दूर रहते हैं।

7.तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा कांतिमय हो जाती है।

৪.शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है, और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।

9.सूखी खाँसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है।
                   
                          "जय जय श्री राधे"

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