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1/03/2023

आध्यात्म एवं ज्योतिष में दशमी तिथि का महत्त्व

   
                           
   
आध्यात्म एवं ज्योतिष में दशमी तिथि का महत्त्व
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हिंदू पंचाग की दसवीं तिथि दशमी कहलाती है। इस तिथि का नाम धर्मिणी भी है क्योंकि इस तिथि में शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इसे हिंदी में द्रव्यदा भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की दसवीं कला है, इस कला में अमृत का पान वायुदेव करते हैं। दशमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 109 डिग्री से 120 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि का  निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 289 से 300 डिग्री अंश तक होता है। दशमी तिथि के स्वामी यमराज को माना गया है। आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को यमदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

दशमी तिथि का ज्योतिष में महत्त्व
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यदि दशमी तिथि शनिवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा दशमी तिथि गुरुवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि दशमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में किए गए कार्यों की कार्य पूर्ण होते हैं। वहीं किसी भी पक्ष की दशमी तिथि पर भगवान शिव का पूजन करना वर्जित माना जाता है। आश्विन महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली दशमी तिथि शून्य कही गई है।

दशमी तिथि में जन्मे जातक को धर्म और अर्धम का ज्ञान भलीभांति होता है। उनमें देशभक्ति कूट कूटकर भरी होती है। ये लोग धार्मिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ये हमेशा जोश और उत्साह से भरे होते हैं। वे अपने विचार दूसरों के सामने प्रकट करने में संकोच नहीं करते हैं। ये लोग काम करने में हठी होते हैं लेकिन उदार भी बने रहते हैं। इन तिथि में जन्मे लोग आर्थिक रूप से संपन्न और दूसरों की भलाई करने में लगे रहते हैं। इन जातकों में कलात्मकता भी होती है। ये रंगमंच यानि थिएटर जैसी कला के प्रति जागरुक रहते हैं। ये लोग पारिवार को सदैव अपने साथ लेकर चलने वाले होते हैं। 

दशमी तिथि के शुभ कार्य 
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दशमी तिथि में नए ग्रंथ का विमोचन, शपथग्रहण समारोह, उदघाटन करना आदि सम्बन्धित कार्य करने चाहिए। साथ ही इस तिथि में वाहन, वस्त्र खरीदना, यात्रा, विवाह, संगीत, विद्या व शिल्प आदि कार्य करना भी लाभप्रद रहता है। इसके अलावा किसी भी पक्ष की दशमी तिथि में उबटन लगाना और मांस, प्याज, मसूर की दाल खाना वर्जित है।

दशमी तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास
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विजयादशमी
〰️〰️〰️〰️आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा के पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार अर्धम पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन नए व्यापार, नए वाहन, आभूषण को खरीदना शुभ माना जाता है। 

गंगा दशहरा
〰️〰️〰️〰️ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी।

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